लखनऊ की बात की जाए और इत्र का जिक्र न हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता। इत्र लखनऊ के रोम रोम में बसा हुआ है, यहाँ की संस्कृति का यह एक हिस्सा है। लखनऊ एक नवाबी शहर है तथा इत्र को हमेशा से ही नवाबों की शान के रूप में देखा जाता है। इत्र की बात की जाए तो इसके इतिहास के विषय में कहा जाता है कि यह करीब 60 हजार सालों से चली आ रही है, हांलाकि भारत के विषय में यदि बात की जाए तो यह सिन्धु घाटी की सभ्यता के समय तक जाती है। हाल ही में हुए पुरातात्विक खुदाइयों से यह पता चला है कि यहाँ पर इत्र 3000 ईसा पूर्व में बनाई जाती थी। भारत के विभिन्न धर्मशास्त्रों और पुराणों में इसके अवशेष हमें देखने को मिलते हैं। भारत में सुगंध; धर्म, संस्कृति और कामुक प्रथाओं से जुड़ा हुआ था, यहाँ पर बादशाहों के हरमों में इत्र का प्रयोग बड़े पैमाने पर किया जाता था। एक अच्छे इत्र की परिभाषा भी गढ़ी गयी है, जिसके अनुसार ‘एक अच्छा इत्र वह होता है, जो की तीव्र और सौम्य दोनों प्रकार के सुगंधों के मध्य में संतुलन बना के रख सके’।
चित्र सन्दर्भ:
1.लखनऊ इत्र तरल सोने की तरह दिखता है(youtube)
2.इत्र के लिए फूलों का वर्गीकरण(pixabay)
3.शमामा और मजमुआ इत्र(youtube)
4.कन्नौज इत्र उपहार टोकरी(youtube)
सन्दर्भ :
https://nowlucknow.com/take-a-bottle-of-personalised-attar-from-lucknow-this-time/
https://www.livemint.com/Leisure/6CjYuJ3p7TCAkFK423j5MI/The-perfumed-past.html
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